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कांस्टेबल ने भाई के साथ मिलकर अपने साथी पुलिसकर्मीयो से ठगे करोड़ो रुपए, दिखाए थे बड़े सपने

  अजमेर में दिल दहला देने वाली ठगी, सैकड़ो पुलिसकर्मियों को उनके साथी कांस्टेबल ने लगाया करोड़ों का चूना। जांच में पता लगा है कि पवन ने पुलिसकर्मियों को ठगने के लिए कहीं तरीके अपनाए. किसी को हाईवे प्रोजेक्ट में इन्वेस्टमेंट का लालच दिया, तो किसी को अनोखी दवा के बिजनेस में मोटा मुनाफा दिलाने का वादा किया, तो किसी को 20% का ब्याज देने का लालच दिया। राजस्थान के अजमेर जिले का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां कहीं पुलिसकर्मियों को ठगी का शिकार बनाया गया. और सबसे अनोखी वाली बात ये है कि उन्हें ठगने वाला कोई बाहरी नहीं बल्कि उन्हीं का साथी कांस्टेबल व दोस्त निकला. पुलिस लाइन अजमेर में पोस्टेड कांस्टेबल पवन मीणा पर आरोप लगा है कि उसने अपने ही साथी पुलिसकर्मियों को करोड़ों के हाईवे प्रोजेक्ट्स और तगड़ी कमाई के सपने दिखाकर ठगा. पवन मीणा ने उन्हें भरोसा दिलाया कि अगर वो इन प्रोजेक्ट्स में पैसे लगाएंगे तो उनकी कमाई चौगुनी हो जाएगी. वो कहता था, 'नौकरी की सैलरी से घर चलाना मुश्किल है, कुछ बड़ा करना पड़ेगा. इस ठगी का खुलासा तब हुआ जब कांस्टेबल दीपक वैष्णव ने 9 अप्रैल 2025 को क्लॉक टॉ...

Dr. Manamohan Singh : अब नहीं इतने रहे हैं इस दुनिया में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बाद क्या कहा नरेंद्र मोदी ने

Dr. Manmohan Singh  अब नहीं रहे नहीं रहे हैं इस दुनिया में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को एक विचारक और विद्वान के रूप में जाना जाता है। उन्हें उनकी मेहनत और काम के प्रति उनके अकादमिक दृष्टिकोण के साथ-साथ उनकी सुलभता और उनके विनम्र व्यवहार के लिए भी जाना जाता है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गाँव में हुआ था। डॉ. सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिकुलेशन की परीक्षाएँ पूरी कीं। उनका शैक्षणिक जीवन उन्हें पंजाब से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, यूके ले गया, जहाँ उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री हासिल की। ​​इसके बाद डॉ. सिंह ने 1962 में ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के नफ़ील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल. की। उनकी पुस्तक, “भारत के निर्यात रुझान और स्व-संचालित विकास की संभावनाएँ” [क्लेरेंडन प्रेस, ऑक्सफ़ोर्ड, 1964] भारत की अंतर्मुखी व्यापार नीति की शुरुआती आलोचना थी।  डॉ. सिंह की शैक्षणिक साख पंजाब विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित दिल्ली ...